**ताकत सबर की**
खुद को खुदी से लड़ाऊ में कब तक, ताकत सबर की आजमाऊ में कब तक।।
दिशा मेरे जीवन की जब तय हुई थी, मेरी अनिच्छा से ही तय हुई थी,
क्या सपना है मेरा,ये पूछा नहीं था ऐसा भी होगा, मैंने सोचा नहीं था।।
अनमने-मन से खुद को खपाऊ मैं कब तक
ताकत सबर की आजमाऊ में कब तक।
पंछी का पिंजरा तय हो गया था, उड़ानों पर...
दिशा मेरे जीवन की जब तय हुई थी, मेरी अनिच्छा से ही तय हुई थी,
क्या सपना है मेरा,ये पूछा नहीं था ऐसा भी होगा, मैंने सोचा नहीं था।।
अनमने-मन से खुद को खपाऊ मैं कब तक
ताकत सबर की आजमाऊ में कब तक।
पंछी का पिंजरा तय हो गया था, उड़ानों पर...