...

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मेरे ऑफिस के पीछे एक खिड़की थी, जिसमें दिखती एक लड़की थी
मेरे ऑफिस के पीछे एक खिड़की थी
जिसमें दिखती एक लड़की थी

उसकी एक झलक का मैं दीवाना था
उसकी गलियों में मेरा आना जाना था
जब भी वो मुझको दिखती थी
आंखों से कुछ कह जाती थी
उसके होठों की मुस्कुराहट प्यार का इजहार कर जाती थी

मेरे ऑफिस के पीछे एक खिड़की थी
जिसमें दिखती एक लड़की थी

एक दिन उससे मेरा टकरार हुआ
फिर मेरे प्यार का इजहार हुआ
शर्माते- मुस्कुराते वह भी हां कर गई
उस दिन जैसे मेरी बंद किस्मत खुल गई

हम एक दूसरे के प्यार और वादों में बंधने लगे
हमारे सब रिश्तेदार हमसे दूर होने लगे
यह प्यार गवारा नहीं था किसी को हमारा
फिर भी हम बने रहे एक दूसरे का सहारा

मेरे ऑफिस के पीछे एक खिड़की थी
जिसमें दिखती एक लड़की थी

पता नहीं क्यों वो मायूस रहने लगी थी
उसके चेहरे की रंगत कम होने लगी थी
वह दिन-रात कुछ सोचती रहती थी
पर वो मुझसे कुछ ना कहती थी
उसका यह हाल देख, मैं भी रोता रहता था
उसके सामने खुश होने का, नाटक करता रहता था

ना जाने अब वह कहां खो गई
उस खिड़की की मुस्कुराहट कहीं जाकर सो गई उसकी मुस्कान को ढूंढ कर लाना है
एक खिड़की नहीं बनाना है

मेरे ऑफिस के पीछे एक खिड़की थी
जिसमें मेरी एंजेल रहती थी

Ravi # true story#love