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मैं,तुम और आधी चाय की प्याली...
मैं,तुम और आधी चाय की प्याली
एक साथ... अच्छा मज़ाक हैं
पर सुनने में अच्छा लगता है
यादों का हिस्सा झलकता है
कुछ खुशनुमा एहसास सा
तुम्हारा साथ मेरी सांसों के साथ सा
गली के आखरी छोर पर
नुक्कड़ पर चाय की टपरी सा
हवा में घुली चाय की महक सा
सावन की रिमझिम फुंआर सा
हर बरस के सावन के सोमवार सा
यादों का कोई पुल बनाता है
मेरा साया हररोज वहां से गुजरता है
फिर जाके चाय ढूंढता है
जिसमें सुकूं के...