खामोशी के स्वर।
सन्नाटा भी जरूरी है,
खामोशी भी जरूरी है,,
जब चारों तरफ शोर मचा हो।
तब चुप रहना ही समझदारी है।।
अक्सर लोग सहम जाते हैं,
जब खामोशी बोल जाती है।
कुछ नये शब्दों के साथ ,कुछ नये अर्थो के साथ।।
बताने के लिए जो अनसुना हो, सीखाने के लिए जो कुछ नया हो।।
कोरोना वही दबी आवाज है, प्रकृति की,
जिसको मानव ने चाहकर भी नहीं सुना।
अब जब खुद असहाय है, तो मजबूरी में,
मुस्लफी में, याद तो आयी, उसे अपने अस्तित्व की।।
जिस धरती में फला-फूला, उसी को नोंच लिया,, देकर...
खामोशी भी जरूरी है,,
जब चारों तरफ शोर मचा हो।
तब चुप रहना ही समझदारी है।।
अक्सर लोग सहम जाते हैं,
जब खामोशी बोल जाती है।
कुछ नये शब्दों के साथ ,कुछ नये अर्थो के साथ।।
बताने के लिए जो अनसुना हो, सीखाने के लिए जो कुछ नया हो।।
कोरोना वही दबी आवाज है, प्रकृति की,
जिसको मानव ने चाहकर भी नहीं सुना।
अब जब खुद असहाय है, तो मजबूरी में,
मुस्लफी में, याद तो आयी, उसे अपने अस्तित्व की।।
जिस धरती में फला-फूला, उसी को नोंच लिया,, देकर...