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एक हक़ीक़त 🖤
मैं उस दर्द से वाकिफ हूँ
जहाँ लोग खुदकुशी कर लेता है
जीने की कई बहाने होते पर
एक शख्स ज़िंदगी वीरान कर देता है
एक एक पल में सौ बार मरता है
सहन नहीं हो तो झखमो के निसान से बदन भर लेता है
हाथ कापने लगते साँसे बंद होने लगती है
दिन भर के छुपाए आँसू से रात को तकिया भींग जाती है
शब्दों में कह पाना मुश्किल है की क्या गुजरती है
बहूत भुलक्कड़ हूँ पर बस उसे भूलना मेरे बस में नहीं है
ये दिल न जाने क्यों इतना ज़िद्दी है
जिस के लिए मैं कुछ नहीं उसके लिए ये ज़िद्द पर अड़ी है
© रौशन rosi...✍️🍁
जहाँ लोग खुदकुशी कर लेता है
जीने की कई बहाने होते पर
एक शख्स ज़िंदगी वीरान कर देता है
एक एक पल में सौ बार मरता है
सहन नहीं हो तो झखमो के निसान से बदन भर लेता है
हाथ कापने लगते साँसे बंद होने लगती है
दिन भर के छुपाए आँसू से रात को तकिया भींग जाती है
शब्दों में कह पाना मुश्किल है की क्या गुजरती है
बहूत भुलक्कड़ हूँ पर बस उसे भूलना मेरे बस में नहीं है
ये दिल न जाने क्यों इतना ज़िद्दी है
जिस के लिए मैं कुछ नहीं उसके लिए ये ज़िद्द पर अड़ी है
© रौशन rosi...✍️🍁
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