पूछने लगी कलम।
उठी कलम आज,
कुछ लिखने को,
बहुत दिन बाद।
नाराज हो,वह लगी पूछने,
कहां थे,अब तक मेरे सरताज,
जो आज आपको आ गई मेरी याद।
माथे पर रख हाथ,
धीरे धीरे,हम लगे बताने।
कार्य का कुछ भार ऐसा,
उस पर मार्च का महीना,
अधिकारिक कार्य में,
हम थे इतने व्यस्त।
कब बजे सात कार्यालय में,
और कब हो गया सूर्य अस्त,
कुछ नहीं...
कुछ लिखने को,
बहुत दिन बाद।
नाराज हो,वह लगी पूछने,
कहां थे,अब तक मेरे सरताज,
जो आज आपको आ गई मेरी याद।
माथे पर रख हाथ,
धीरे धीरे,हम लगे बताने।
कार्य का कुछ भार ऐसा,
उस पर मार्च का महीना,
अधिकारिक कार्य में,
हम थे इतने व्यस्त।
कब बजे सात कार्यालय में,
और कब हो गया सूर्य अस्त,
कुछ नहीं...