...

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बस बेहतर है....✍️
ख़ामोश रहकर ही,
बढ़ जाना बेहतर है ।

अपनी तकलीफों संग,
चुपचाप चल जाना बेहतर है।

अपने एहसासों को समेट
कर ख़ुद में,
मन के संग बह जाना बेहतर है ।

उम्मीद की तलाश किए बिना,
ख़ुद मैं भरोसा रख,
बढ़ जाना बेहतर है ।

मन कितना ही उदास क्यूं न हो,
मन को बस बहला कर,
चल देना बेहतर है ।

अपनी मायूसी को छिपाकर आंखो में,
चेहरें पर मुस्कान लिए,
चल देना बेहतर है।

© भागेश्वरी उइके ✍️
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