...

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अधूरी ख्वाइश
ख्वाइशें है कुछ हमारी भी
पहाड़ी लिबास हो
और भीगे बाल तुम्हारे,
छींटे जो उड़ाए तुमने पानी के
कायल हुए हम तुम्हारी जवानी के,
कान हो तुम्हारे और झुमका डालें हम भी कभी
सरकाए बाल तुम्हारे चेहरे से
और हो मुलाकात तुम्हारी आंखों से,
बैठे कभी साथ तुम्हारे
और आशियाना बने गोद तुम्हारी,
ख्वाइशे हैं कुछ अधूरी हमारी भी...

© sharma