...

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सिगरेट
ये जो सिगरेट का धुँआ होता है
ये सिर्फ़ धुँआ नहीं होता,
अक्सर इसमें
गुस्सा, प्यार, फ़िक्र, चिंताएं,
खीज, बेचैनियां
भी होती हैं।
और बहुत बार होता है,
एक भारी मन।
जो धुएं से मिलकर धुएं सा,
हल्का हो जाना चाहता है।

और

हर वो सिगरेट जो होंठों से
लगकर सुलगती है,
फ़क़त सिगरेट नहीं होती।
उनमें होती हैं,
अधूरी ख्वाहिशें, अधजली हसरतें,
आँसू, बेबसी,
ना...