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खामोशी
ओढकर खामोशी दिल चल पडा
मोडकर खुद को अब निकल पडा।
कया होगा ये तो रब ही जाने सनम
तोडकर दिल्लगी कोनो में ढल पडा।
फरेब लोग करते तो स्वीकार्य था
निचोड कर सारे अश्क सँभल पडा।
कोई दलील अब मंजूर नहीं करता
रौंदकर सपने बहोत दूर टहल पडा।
सौम्यसृष्टि
© Somyashrusti
मोडकर खुद को अब निकल पडा।
कया होगा ये तो रब ही जाने सनम
तोडकर दिल्लगी कोनो में ढल पडा।
फरेब लोग करते तो स्वीकार्य था
निचोड कर सारे अश्क सँभल पडा।
कोई दलील अब मंजूर नहीं करता
रौंदकर सपने बहोत दूर टहल पडा।
सौम्यसृष्टि
© Somyashrusti
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