...

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ऐसी थी वो
जब वो गुजरती वो हवेली से
चाँद भी खिड़किया या बदलता था
नूर जो उसका ऐसा था
हमारी दिल की नज़रों में भी उसे देखा था
उसकी मुस्कान से...