...

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मैं पैसा हूं दोस्त!
पैसा, पैसा,पैसा,पैसा,
ये नाम बहुत सुना है सबने,
शायद मां नाम के बाद यही सबसे ज्यादा बार लिया जाता है,
इसके दम पर ही जीया जाता है।

इसके बिना इन्सान की कीमत नहीं है,
इन्सानियत, अच्छाई, बुराई सब इसके बाद आते हैं,
अक्सर सारे रिश्ते भी इसके बाद आते हैं।

पैसे की छन-छन से ही कन्यादान होता है,
इसके कारण ही लड़का एक दिन बाप होता है,
इसके बिना इन्सान पल- पल रोता है,
इसके साथ समझदार, इसके बिना नादान होता है,
सच में इसके साथ बन्दा भगवान् होता है।

इसके धनी की तो गाली भी मिठी लगती है,
मेरी मिठी खीर भी जूठी लगती है।

_____राम