बचपन की यादें...
#स्मृति_कविता
चांदनी रातों में बिछी, वो बालू की रेत,
खेल-खेल में सजी, वो हंसी की खेत।
दादी की कहानियाँ, ममता भरी गोद,
सपनों के वो दिन, जैसे कोई मीठी ओद।
पेड़ की छांव में, दोस्तों के संग,
कभी छुपन-छुपाई, कभी मीठे रंग।
वो मिट्टी के घरौंदे, वो कागज़ की नाव,
बचपन की यादें, सदा मन के पास।
माँ की पुकार पर, लौटना हर शाम,
कभी ना सोचना,...
चांदनी रातों में बिछी, वो बालू की रेत,
खेल-खेल में सजी, वो हंसी की खेत।
दादी की कहानियाँ, ममता भरी गोद,
सपनों के वो दिन, जैसे कोई मीठी ओद।
पेड़ की छांव में, दोस्तों के संग,
कभी छुपन-छुपाई, कभी मीठे रंग।
वो मिट्टी के घरौंदे, वो कागज़ की नाव,
बचपन की यादें, सदा मन के पास।
माँ की पुकार पर, लौटना हर शाम,
कभी ना सोचना,...