बचपन की यादें...
#स्मृति_कविता
चांदनी रातों में बिछी, वो बालू की रेत,
खेल-खेल में सजी, वो हंसी की खेत।
दादी की कहानियाँ, ममता भरी गोद,
सपनों के वो दिन, जैसे कोई मीठी ओद।
पेड़ की छांव में, दोस्तों के संग,
कभी छुपन-छुपाई, कभी मीठे रंग।
वो मिट्टी के घरौंदे, वो कागज़ की नाव,
बचपन की यादें, सदा मन के पास।
माँ की पुकार पर, लौटना हर शाम,
कभी ना सोचना, कोई बड़ा काम।
बस खेलना-कूदना, और हंसते रहना,
बचपन की वो यादें, हरदम सताए।
वो स्कूल का बस्ता, और नए-नए पाठ,
कभी तो होमवर्क, कभी मस्ती की रात।
दोस्तों की टोली, और टीचर का प्यार,
बचपन की वो यादें, हैं सबसे निराली यार।
वो गली के खेल, और मिठाई की दुकान,
हर खुशी का कारण, वो छोटा-सा जहान।
बचपन की यादें, सजीव हो उठती हैं,
हर मुस्कान में, हर खुशी में दिखती हैं।
वो दिन लौट आएं, काश फिर से एक बार,
बचपन की यादें, बन जाएं फिर से संसार।
दिल में बसी हैं, वो सुनहरी राते,
बचपन की यादें, सदा रहें साथ।...!!!
© dil ki kalam se.. "paalu"
चांदनी रातों में बिछी, वो बालू की रेत,
खेल-खेल में सजी, वो हंसी की खेत।
दादी की कहानियाँ, ममता भरी गोद,
सपनों के वो दिन, जैसे कोई मीठी ओद।
पेड़ की छांव में, दोस्तों के संग,
कभी छुपन-छुपाई, कभी मीठे रंग।
वो मिट्टी के घरौंदे, वो कागज़ की नाव,
बचपन की यादें, सदा मन के पास।
माँ की पुकार पर, लौटना हर शाम,
कभी ना सोचना, कोई बड़ा काम।
बस खेलना-कूदना, और हंसते रहना,
बचपन की वो यादें, हरदम सताए।
वो स्कूल का बस्ता, और नए-नए पाठ,
कभी तो होमवर्क, कभी मस्ती की रात।
दोस्तों की टोली, और टीचर का प्यार,
बचपन की वो यादें, हैं सबसे निराली यार।
वो गली के खेल, और मिठाई की दुकान,
हर खुशी का कारण, वो छोटा-सा जहान।
बचपन की यादें, सजीव हो उठती हैं,
हर मुस्कान में, हर खुशी में दिखती हैं।
वो दिन लौट आएं, काश फिर से एक बार,
बचपन की यादें, बन जाएं फिर से संसार।
दिल में बसी हैं, वो सुनहरी राते,
बचपन की यादें, सदा रहें साथ।...!!!
© dil ki kalam se.. "paalu"