...

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नंद किशोर आचार्य जी की कविता
न बचपना, न समझदारी
न दोस्ती, न दुश्मनी
न प्रेम, न परिवार
न तन्दुरुस्ती, न बीमारी
न हँसना, न रोना
न नींद, न जागना
न रेंगना, न तन कर खड़े रह पाना
- कविता भी नहीं

न कामदी हुआ, न त्रासदी
ठीक-से जीवन
इसलिए डरता हूँ
ठीक से मरूँगा तो न?
© anuraggurjar1111