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बनावटी जीवन
जीवन भर बहुत कुछ बनावटी रहा
वह मेरे सामने मेरे समुदाय को कोसता
मैं झूठी स्माइल देता, उसे अपना समझता रहा
वह मुझे मेरे खान पान में भी
नीचा दिखाता रहा, मैं झेपता रहा
अपने खान पान पर
वह मेरे रीति रिवाज का मजाक उड़ाता रहा
मैं समायोजन का सिद्धांत समझता रहा
वह आस्तीन का सांप बन कर मेरी गरिमा निगलता रहा
मैं जीवन भर उसे अपना दोस्त समझता रहा
उसे फेक हंसी दिखाता रहा
वह मेरे कपड़ों पर टिप्पणी करता
मुझे असभ्य और पिछड़ा साबित करता रहा
हिजाब का हिसाब जरूर रखता, अपने चोले छिपाता रहा
© All Rights Reserved
वह मेरे सामने मेरे समुदाय को कोसता
मैं झूठी स्माइल देता, उसे अपना समझता रहा
वह मुझे मेरे खान पान में भी
नीचा दिखाता रहा, मैं झेपता रहा
अपने खान पान पर
वह मेरे रीति रिवाज का मजाक उड़ाता रहा
मैं समायोजन का सिद्धांत समझता रहा
वह आस्तीन का सांप बन कर मेरी गरिमा निगलता रहा
मैं जीवन भर उसे अपना दोस्त समझता रहा
उसे फेक हंसी दिखाता रहा
वह मेरे कपड़ों पर टिप्पणी करता
मुझे असभ्य और पिछड़ा साबित करता रहा
हिजाब का हिसाब जरूर रखता, अपने चोले छिपाता रहा
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