अपने पथ पर
अपने पथ पर
चलना है ए मुसाफ़िर
चाहे हो कांटेदार या पथरीला
लक्ष से अनजान
पर चलना है तूझे, अपने पथ पर।
चाहे कितनी ही आते आलस
चाहे कितनी ही आते नींद
चाहे कोई रुकने को कहे
या कोई पास बुलाए...
चलना है ए मुसाफ़िर
चाहे हो कांटेदार या पथरीला
लक्ष से अनजान
पर चलना है तूझे, अपने पथ पर।
चाहे कितनी ही आते आलस
चाहे कितनी ही आते नींद
चाहे कोई रुकने को कहे
या कोई पास बुलाए...