...

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अपने पथ पर
अपने पथ पर
चलना है ए मुसाफ़िर
चाहे हो कांटेदार या पथरीला
लक्ष से अनजान
पर चलना है तूझे, अपने पथ पर।

चाहे कितनी ही आते आलस
चाहे कितनी ही आते नींद
चाहे कोई रुकने को कहे
या कोई पास बुलाए
चाहे हो कोई अपना या पराया
पर चलना है तूझे ,पथ पर अपना ।

पथ है पथरीला,पथ पर सन्नाटा
वह है कांटे जैसा नुकीला
है तेरे अपने वहां पर
पर चलना है तूझे, अपने पथ पर।

रहेंगे सारे दुःख और दर्द तेरे
उन पत्थरों और कांटों में छिपा
फिर भी तूझे चलना है
चलना तूझे है, और चलते रहना है
पथ पर अपना।
© harry56tuyul