...

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वो फ़रेबी
मैं उड़ना चाहतीं थीं, निश्छल प्रेम में ,
उड़ान भरी मैंने, एक मासूम परिंदे सी।

प्रेम रूपी आसमां में बहुत से परिंदे थे ,
मगर मुझे पसंद आया एक ऐसा परिंदा।

जिसे मासूम परिंदों का शिकार करना पसंद था,
वो मेरी मासूमियत से खेलता गया।

मैं इसको उसका लगाव समझ के उसमें खोती गई,
फिर वो एक दिन, मुझसे दूर हो गया।

एक नये परिंदे की तलाश में,
मैं अकेली रह गई,उस अथाह प्रेम रूपी आसमां में ।

और सोचती रही कि क्या खता थी मेरी,जो मुझे ये सिला मिला,
मोहब्बत के आसमां में मुझे एक गिद्ध मिला ।


© Anu