बदरा दुःख के
रुत आई है फिर से दुःख की
फिर से बदरा घिर आये
फिर बरसेंगी बूंदें छम-छम
फिर से बदरा घिर आये
पता नहीं किस कारण छाये
कौन घड़ी ये जायेंगे
ह्रदय भूमि में कब तक दारुण
कितना जल...
फिर से बदरा घिर आये
फिर बरसेंगी बूंदें छम-छम
फिर से बदरा घिर आये
पता नहीं किस कारण छाये
कौन घड़ी ये जायेंगे
ह्रदय भूमि में कब तक दारुण
कितना जल...