...

1 views

ये वक़्त अलविदा
हौसलों का सफ़र जिंदगी की रवानी थीं,
बचपन बिता खेल -कूद में, पल भर की ये कहानी थीं।
जिनको देखा बचपन से, सब मित्र हमारे बिछुड़ गए।
दो टूक रोटी के लिए, अब हम अपने माता-पिता से भी बिछुड़ गए।
दूजे को अपनाने के ख़ातिर, अपने दिलों के टुकड़े को भी हम भूल गए,
तिरिया प्रेम में मग्न होकर, माता-पिता, भाई-बहन
और अपने खून के रिश्ते भी भूल गए।
एक ही आँगन में खेला करते थे सब, वो किलकारी भी भूल चुके,
इस माया और सफ़र के चक्र में, अपने बच्चों को स्नेह करना भी भूल चुके।।
बुढ़ापा, जवानी और बचपन तीनों खेले एक आँगन, अब वह दौर न आयेगा
ये मंजिल के मुसाफ़िर अब तेरा वक़्त लौटकर वापस न आयेगा।।


© Fight With God