कलम भी रो पड़ती होगी
क्या समझ रखा है खिलौना ?
जिसे मन आया बेचा खरीदा और फेंका ,
क्या है वो कोई गहना ?
जब चाहे पहना
और एक कोने में रख दिया ,
मानते हो अर्धशरीर अपना
तो क्यों...
जिसे मन आया बेचा खरीदा और फेंका ,
क्या है वो कोई गहना ?
जब चाहे पहना
और एक कोने में रख दिया ,
मानते हो अर्धशरीर अपना
तो क्यों...