...

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तुम्हारी पतंग के पास मैंने मन के ख्यालों को भेजा है
एहसासों को पतंग के सहारे,
हवा के हवालो से भेजा है,
तुम्हारी पतंग के पास मैंने,
मन के ख्यालों को भेजा है,

आज पतंग को मैंने अपनी,
तुम्हारी तश्रीरो से सहेजा है,
तुम्हारी डो में उलझ रहा जैसे,
मेरे अरमानों का कोई रेशा है,

तुम्हारे संग रहने या दूर उड जाने,
जैसे कई सवालों को भेजा है,
तुम्हारी पतंग के पास मैंने,
मन के ख्यालों को भेजा है!!
© Rohit Kumar Gond
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