...

1 views

मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
मेरे है रूप अनेक,
जननी विधाता सरेख,
माँ नामक उद्भव है मुझसे
सोम प्राप्त होता है जिससे।।
भार्या हो कर मैं धर्म निभाती
बहन बन कवच कहलाती ।।
वक़्त की दंश को सहती
मैं तकदीर की लाचारी हूँ
मैं नारी हूँ।।
घर में अपने पराई हो जाती
खुद की वजूद को
समग्र तलाशती
मैं अबूझ पहेली हूँ
हाँ मैं नारी हूँ।।
दिन भर काम करती
सबकी खुशी से
आनंदित हो जाती
मैं बाबुल की प्यारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ।।
आजाद हो कर भी
आजाद नही हूँ,
समाज के लावे से बंधी हूँ,
नियमो के पहलू पर
लिखी मैं सुनहरी स्याही हूँ
मैं नारी हूँ।।
अस्तित्व में रह कर
अस्तित्व तलाशती
विभीषका प्यारी हूँ
मैं नारी हूँ।।
__अभिषेक सिंह