...

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क्या तुम्हें पता हैँ तुम क्या हो?
क्या तुम्हे पता हैँ तुम क्या हो..........!!

शायद तुम थकावट के बाद का आराम हो।
अनसुना,अनकहा सा अलग नाम हो।
बेवकूफ़ हैँ दिल, तुम चतुर दिमाग़ हो।
जों साथ चले, साथ रहे, अच्छा यार हो।
नफरत से कोसो दूर, सच्चा प्यार हो।
सिर्फ एक ही बार नही, तुम बार बार हो।
एकलौता नहीं, बल्कि तुम हज़ार हो।
पतजड़ के बाद आई बाहर हो।
तुम तोह अनोखा त्यौहार हो।
श्यान्त मन कि, दुआ अरदास हो।
कया ही कहूं अब, कि तुम बड़ी कमाल हो।
छुपा हैँ उत्तर जिसमे ही कही, ऐसा सवाल हो।
प्रीत प्यारा लम्बा अलाप हो।
जहन में दफ़न, तुम मेरा राज़ हो।
तड़कता सोला तुम,ददकती आग हो।
सुरीला साज़ अजब राग़ हो।
पल पल रहे हर सांस में वो याद हो।
उज़ड़ी दुनिया मे तुम बागबान हो।
नीला घना,सुन्दर आसमान हो।
चारो दिशा हो तुम, तुम ही कायनात हो।
कुछ हैँ ही नहीं जों कहदे तुमको,
पर मै कहूं तोह तुम ही भगवान हो।


क्या तुम्हें पता है, तुम क्या हो............
........!!!!!!!!!!""


© मिक्की"