...

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अभी बहुत कुछ बाकी है......
सिर्फ पल्लव ही तो गिरे है अभी
जड़े तो मिट्टी ने मजबूती से थामी है

रंग फीके और मर गये है अभी
सतरंगी रंगो की हलचल अब भी बाकी है

ना कहना ठूँठ ,शाखाहीन अभी
टहनियों में नमी सरसता अब भी बाकी है

भृंग ने जरूर नजरे फेर ली है अभी
बदलते मौसम की आस अभी भी बाकी है

है ये समय का कठोर, नंगापन अभी
समय का कुछ कर्ज अभी चुकाना बाकी है

© ऋत्विजा