प्रिय भारत!
प्रिय भारत करूं कहां से आज तुम्हें मैं शुरू!
अपनी अद्भुत प्रतिभा के कारण कहलाए विश्व गुरु।
धरा यहां की उपजाऊ तन पर बिखरी हरियाली।
मंद मंद बहे पवन यहां लगती है मतवाली।
प्रिय भारत...............................................!
अपनी अद्भुत...........................................।
नदियां कल कल गाती हैं सुंदर गीत सुनाती...
अपनी अद्भुत प्रतिभा के कारण कहलाए विश्व गुरु।
धरा यहां की उपजाऊ तन पर बिखरी हरियाली।
मंद मंद बहे पवन यहां लगती है मतवाली।
प्रिय भारत...............................................!
अपनी अद्भुत...........................................।
नदियां कल कल गाती हैं सुंदर गीत सुनाती...