जाने क्या सिलसिला है.....
जाने क्या सिलसिला है हर बार हार जाता हूं
खुशियों के आशियानें में यहां रहते हैं सभी
क्यों मैं खुदको इन खुशियों से बाहर पाता हूं
जाने क्या सिलसिला है हर बार हार जाता हूं
ये सारी दुनिया आगे झुकती है जिसके
पूंछता हूं मैं उस खुदा या रब से
किया सब करम कहां चूका मेहनत से
फ़िर क्यों हार जाता हूं बार-बार किस्मत से
क्यों मैं यूं कामयाबी को तरस जाता हूं
जाने क्या सिलसिला है हर बार हार जाता हूं
मुझे आशा...
खुशियों के आशियानें में यहां रहते हैं सभी
क्यों मैं खुदको इन खुशियों से बाहर पाता हूं
जाने क्या सिलसिला है हर बार हार जाता हूं
ये सारी दुनिया आगे झुकती है जिसके
पूंछता हूं मैं उस खुदा या रब से
किया सब करम कहां चूका मेहनत से
फ़िर क्यों हार जाता हूं बार-बार किस्मत से
क्यों मैं यूं कामयाबी को तरस जाता हूं
जाने क्या सिलसिला है हर बार हार जाता हूं
मुझे आशा...