कोई बात नहीं...
माना कि अब हम साथ नहीं,
मगर दिल से एक बात कहूं, कोई बात नहीं...
लेकिन आज़ भी हर रात सोने से पहले तेरी यादों के समुंदर में
एक लंबी सांस ले कर गोता मारने चली जाती हूं,
और उन पुराने लम्हों में से किसी एक मोती को निकाल लाती हूं... फिर
उसे आंखें बंद कर के तब तक निहारती हूं जब तक नींद नहीं आ जाती,
और अगली सुबह फिर से यही इंतजार करती हूं कि कब ये दिन ढले
और कब रात हो, कब फिर तुझे आवाज़ लगाऊं, और कब तुझसे बात हो...
माना की अब वो रात नहीं, मगर दिल से एक बात कहूं कोई बात नहीं...
लोग कोसते हैं अपनी मोहब्बत को, कि उसने उनको...
मगर दिल से एक बात कहूं, कोई बात नहीं...
लेकिन आज़ भी हर रात सोने से पहले तेरी यादों के समुंदर में
एक लंबी सांस ले कर गोता मारने चली जाती हूं,
और उन पुराने लम्हों में से किसी एक मोती को निकाल लाती हूं... फिर
उसे आंखें बंद कर के तब तक निहारती हूं जब तक नींद नहीं आ जाती,
और अगली सुबह फिर से यही इंतजार करती हूं कि कब ये दिन ढले
और कब रात हो, कब फिर तुझे आवाज़ लगाऊं, और कब तुझसे बात हो...
माना की अब वो रात नहीं, मगर दिल से एक बात कहूं कोई बात नहीं...
लोग कोसते हैं अपनी मोहब्बत को, कि उसने उनको...