...

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चल अब उसका हो जा दीप
तलब ए दीदार में जिसके
कितने रात ना सो पाया
बाकी सब तो हो गए मेरे
एक वही ना हो पाया

इतनी शिद्दत, इतनी मशक्कत
फिर बेचैनी इतनी के
आंखे तो भर आयी मगर
पत्थर दिल ना रो पाया

कुछ बातें थी , कुछ राते थी
कुछ यादें थी जुड़ी उससे
उनसे हटकर कुछ दाग थे मुझ पर
जिन्हें कभी ना धो पाया

पाया क्या गवाया क्या
मेरे हिस्से में आया क्या
खैर ये तो समझ आया
अपना क्या पराया क्या

अब जो है सुकुन सा है
नब्ज में बहते खून सा है
उससे बढ़कर क्या मिले
शायर को जिससे जुंबा मिले
दर्द मिले तो शिफा मिले
इश्क मिले तो वफा मिले
दुनियां चाहे खफा मिले
हसरत को गर नफा मिले

सारे दर्द भुलाकर दीप
अपना आप जलाकर दीप
उसके आगोश में सो जा दीप
चल अब उसका हो जा दीप

चल अब उसका हो जा दीप !! ❣️🪔


© दीप