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प्रेम के दर्शन...
प्रेम के दर्शन में आसानी है बाकी सब इक्षा का होना कम ही काफ़ी हैं !!
हम को अब जीने के लिए दर्द और तन्हाई के दो मौसम ही काफ़ी हैं !! १ !!

जाओ तुम अब उसकी हो जाओ जान,, क्योंकि उस को है इश्क़ ज़रूरी
अब के बाद अपने लिए तो तेरी यादें ग़ज़लें और तेरे ग़म ही काफ़ी हैं !! २ !!

मालूम था कि तुम भी क्या इश्क़ करोगी छोड़ो ये सर-दर्दी रहने दो
तुम को परेशान करने के लिए तो ये तेरी ज़ुल्फ़ों के ख़म ही काफ़ी हैं !! ३ !!

तेरी बेरुखी के बाद हर किसी ने मुझसे मुँह फेर लिया है पर फिक्र नहीं
पर इन सारे दर्द पे तेरी एक मुस्कान का मलहम ही काफ़ी है !! ४!!

"कुन्दन" आग में तपके और भट्ठी में गलके भी तेरा श्रृंगार बना रहेगा
यकीन करके देखो मेरा तुझे चाहने के लिए ताउम्र हम ही काफ़ी है !! ५ !!


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© कुन्दन प्रीत