प्रकृति की सुंदरता की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
प्रकृति की सुंदरता की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
प्रकृति की सुंदरता की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है,क्योंकि जब भी प्रकृति को गहन भाव से देखी जाए तो आंखें सदैव नम होती है क्योंकि इनकी अपार सुंदरता, सौम्यता तथा शांति स्वरूप से हृदय में अनंत रूपी सुकून का अहसास उमर पड़ता है मानो प्रकृति के स्वभाव में भावात्मक स्तर ही कुछ ऐसी है।
आनंद सुकून व शालीनता किसे कहते...
प्रकृति की सुंदरता की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है,क्योंकि जब भी प्रकृति को गहन भाव से देखी जाए तो आंखें सदैव नम होती है क्योंकि इनकी अपार सुंदरता, सौम्यता तथा शांति स्वरूप से हृदय में अनंत रूपी सुकून का अहसास उमर पड़ता है मानो प्रकृति के स्वभाव में भावात्मक स्तर ही कुछ ऐसी है।
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