...

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अतीत की छाप के साथ मैं
आज फिर कुछ अतीत से मिलता जुलता पल सामने आया , डरी सहमी सी मैं सोचने लगी ,
क्या बीते कल के कुछ लोग वापस मेरी जिंदगी में अपनी छाप छोड़ने आए है ।
क्या वो लोग एक कदम आगे बढ़ मेरा पीछा कर रहे है ।
या वो मुझे फिर आजमा रहे है।

खैर अब उनके काम से ज्यादा फर्क नही पड़ेगा मुझे पर एक बात का डर अभी भी जहन में है ।
अब अपनी एक छुपी हुई दुनिया है जिस पर किसी दूसरे का हक नही ।
मैं अब इसी दुनिया के लिए जीती हू ।
खुद से लगाव ,खुद से प्यार , खुद का ख्याल , और खुद की जिम्मेदारी ।


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