ख्वाब बरस गए
आंखों आंखों में जो आहटे हुई
पल में वो अजीब सी मुस्कान
न जाने कब एक मन के ख्वाबें
दो दिलों की आवाजें बन गईं
जहां जा कर पतंग कटी
वहां क्यों गिरी नहीं?
गिरी किसी और के छद पर
जहां लिखी गई एक नई कहानी
...
पल में वो अजीब सी मुस्कान
न जाने कब एक मन के ख्वाबें
दो दिलों की आवाजें बन गईं
जहां जा कर पतंग कटी
वहां क्यों गिरी नहीं?
गिरी किसी और के छद पर
जहां लिखी गई एक नई कहानी
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