...

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मिलते हैं
बहुत बहाने हुए, इस बहाने से मिलते हैं,
उजड़ी है ज़िंदगी, सजाने को मिलते हैं।

लगता है, तू मुझसे नाराज़ हो गया है,
गिले - शिकवे मिटाने को मिलते हैं।

कितनी मुलाकात तूने अधूरी छोड़ी,
अब सारी बात, बताने को मिलते हैं।

चंद यादें ही तो है, अपने दरमियां,
चल, उन्हें ही हम भुनाने को मिलते हैं।

तेरे दिल में कुछ, कुछ मेरे दिल में है,
जो भी है, वो राज़ बताने को मिलते हैं।

ज़िंदगी, ज़रा-ज़रा ज़ाया जो हो रही,
कुछ पल ख़ुद पर लुटाने को मिलते हैं।
© Poetryhub4u