...

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मेरी ग़ज़ल चेहरा तुम्हारा ❤️
तुम्हारे हसीं चेहरे से अपनी ग़ज़ल संवारना चाहता हूं
मेरा दिल है आईना तुम्हें आईने में उतारना चाहता हूं

मैं दिन का थका हुआ हर शब में जगा हुआ रहता हूं
हर पल का सुकूं हर शाम तुम्हारे साथ गुजारना चाहता हूं

चारों तरफ़ भीड़ की दुनिया हर तरफ़ बेहद शोर है हाय
मैं चारों तरफ़ एक तुम्हारा ही नाम पुकारना चाहता हूं

मन्नतें भी लेने लगी है इक ही नाम मेरे दिल में रहकर
मैं सजदों में रहके दुआओं में तुम्हें ही मांगना चाहता हूं

तुम्हारे पढ़ लेने से ही मिल जाती है जान मेरे लब्ज़ों को
मैं हर अल्फ़ाज़ लिखकर नाम तुम्हारे ही करना चाहता हूं


© विकास - Eternal Soul✍️