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नींव
हर रिश्ते की नींव,
विश्वास पर टिकी हुई है
और भरोसे के आगे,
दुनियाँ रूकी हुई है
जब भी कोई रिश्ता टूटता है,
तो जलने की बू आती है
यही से नफ़रत करने की
शुरुआत होती है
कभी सुलझते नहीं है,
ऐसे नफ़रत भरें रिश्ते,
उन्हें सुलझाने के वास्ते,
जब मिलते है कुछ फ़रिश्ते
तभी तो ये दुनियाँ, फरिश्तों के आगे झुकी हुई रहती है
_पहल
विश्वास पर टिकी हुई है
और भरोसे के आगे,
दुनियाँ रूकी हुई है
जब भी कोई रिश्ता टूटता है,
तो जलने की बू आती है
यही से नफ़रत करने की
शुरुआत होती है
कभी सुलझते नहीं है,
ऐसे नफ़रत भरें रिश्ते,
उन्हें सुलझाने के वास्ते,
जब मिलते है कुछ फ़रिश्ते
तभी तो ये दुनियाँ, फरिश्तों के आगे झुकी हुई रहती है
_पहल
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