जीवन साथी
प्रेम के दीपक में जलती है
ज्यों अनगिनत भावों की बाती
बनके शब्द काग़ज़ पर चलती
क़लम में स्याही बन जाती
जीवन पथ पर हाथ थामकर
बिना थके चलती जाती
गठबँधन में बँधकर आई मैं
प्रिय हम तुम जीवनसाथी
बरसों बरस से संग तुम्हारे
अगले जन्म की...
ज्यों अनगिनत भावों की बाती
बनके शब्द काग़ज़ पर चलती
क़लम में स्याही बन जाती
जीवन पथ पर हाथ थामकर
बिना थके चलती जाती
गठबँधन में बँधकर आई मैं
प्रिय हम तुम जीवनसाथी
बरसों बरस से संग तुम्हारे
अगले जन्म की...