क़ाश
क़ाश,
क़ाश के उस वक्त जब मैं रूठ कर जा रही थी,
क़ाश के तूने किसी बहाने से रोक लिया होता
क़ाश,
क़ाश के जब आँखे भीगी थी मेरी , तेरी किसी बात से
क़ाश के जज़्बातों की चादर स तूनेे आँसू पोंछ दिया होता,
क़ाश,
क़ाश के जब दामन तेरे...
क़ाश के उस वक्त जब मैं रूठ कर जा रही थी,
क़ाश के तूने किसी बहाने से रोक लिया होता
क़ाश,
क़ाश के जब आँखे भीगी थी मेरी , तेरी किसी बात से
क़ाश के जज़्बातों की चादर स तूनेे आँसू पोंछ दिया होता,
क़ाश,
क़ाश के जब दामन तेरे...