...

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कैसे मोड़ पे तूने दिल तोड़ा है।
कल मिलेंगे या नहीं

ये वक़्त पे छोड़ा है

तूने भी कैसे मोड़ पे

मेरा दिल तोड़ा है



तुझे खो मैं सकता नहीं ,

पाना मेरे बस में नहीं ...

उम्मीद की टंकी में ,

अब तेल बोहत थोड़ा है ,..

तूने भी कैसे मोड़ पे ,

मेरा दिल तोड़ा है



ख़्वाब आते थे पहले

अब ये भी मुश्किल हुआ

आँखों से मेरी कुछ इस क़दर

नींद का बिस्तर दौड़ा है

तूने भी कैसे मोड़ पे ,

मेरा दिल तोड़ा है



ये रौशनी की दौलत रखने वाले क्या जानें ,

कि

अंधेरों ने यहाँ कितने सवेरों को निचोड़ा है ...

तूने भी कैसे मोड़ पे ,

मेरा दिल तोड़ा है ...



ये सूखे पत्ते ,

ये राख़ ,

ये मोमबत्ती की गलन ...

ये अँधेरे ,

ये ख़ामोशी ,

ये तन्हाई की जलन ...

ख़ुशी की सड़क बहुत छोटी

और दुखों का रास्ता

बेहद चौड़ा है ...

तूने भी कैसे मोड़ पे ,

मेरा दिल तोड़ा है ...
© Vaartik