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चलो बने एक इतिहास के वीर
आंखों में हो सूर्य सा चमक
माथे का तेज चमकता हो
ऐसा तो तब ही होता है
जब जन्म किसी वीर का होता हो
चमके मानों आंखों में आग
आकाश में कड़कती बिजली हो
विद्रोह कर रहीं आने को तूफ़ानें
सम्पर्क जिसका आंधियों से हो
वो चले तो दिशाएं उमड़ उठें
बादल की ख्वाहिश कितनी भी मनचली हो
उम्मीद पर उतरे खरा जो सबके
मन में क्रांति की चिंगारी जली हो
शंखनाद स्वयं जिसका प्रभु करें
निर्मलता इतनी कि
ज़ुबा से मानो गंगा निकली हो
मन में पवित्रता की कोई मिसाल नहीं
प्रकाशित हो जिससे दसों दिशाएँ
गौरव पर उठे कोई सवाल नहीं
प्रताप बने या झाँसी की रानी
गूंज हो ऐसी जैसे शेर
दिशाएं गुनगुनाएं
सदियों तक जिसकी कहानी
चलो न कोई गाथा ऐसी बुनते हैं
बनते हैं अन्धेरे के सूरज
सिर्फ अपने ही नहीं इस अन्धेरी
दुनिया के आसमान में चमककर
चलो एक बार फ़िर से
अपना नया इतिहास लिखते हैं
लिखी गई है अनगिनत गाथाएं
अनगिनत शर्तों पर मान्य हुआ है
एक बार ये पन्ना पलटकर तो देखो
इतिहास का कितना अपमान हुआ है
अन्जान नहीं है कोई भी इससे कि
कितना किसका नाम हुआ है
चलो अब इस बार करें हम कुछ ऐसा
सुना है अलग करने के लिए कुछ
उस चांद से फ़रमान हुआ है
करना है कईयों का दीदार
चलो इतिहास रचें फ़िर एक बार।।
© Princess cutie