दृग को मलना क्या ?
सबके हिस्से की एक अनुपम दुनिया है
कांटों बीच सुसज्जित अनुपम कलियां है
गर आज समर्पित कर जाओ तुम अपना
कल के ऊहापोह से क्यूं विचलित होना
ज्यों आकाश धरातल माप रहा है दृष्टि में
विद्रूपता कितनी है कितना लावण्य भरा
सूक्ष्म जगत की...
कांटों बीच सुसज्जित अनुपम कलियां है
गर आज समर्पित कर जाओ तुम अपना
कल के ऊहापोह से क्यूं विचलित होना
ज्यों आकाश धरातल माप रहा है दृष्टि में
विद्रूपता कितनी है कितना लावण्य भरा
सूक्ष्म जगत की...