बे-फ़िक्र रहो तुम "
इतनी फ़िक्र करने की भी
क्या ज़रुरत?
मेरी ख़ैर ख़बर लेने की भी
क्या ज़रुरत?
ज़िंदा हूँ अभी तो मै
मेरे मरने की ख़बर तो
तुम तक आ ही जायेगी
बस!
यू ही "बे-फ़िक्र रहो तुम "।
© अनिल अरोड़ा "अपूर्व "
क्या ज़रुरत?
मेरी ख़ैर ख़बर लेने की भी
क्या ज़रुरत?
ज़िंदा हूँ अभी तो मै
मेरे मरने की ख़बर तो
तुम तक आ ही जायेगी
बस!
यू ही "बे-फ़िक्र रहो तुम "।
© अनिल अरोड़ा "अपूर्व "
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