सफ़र
एक सफ़र जो शुरू हुआ था माँ की गोद मे हमारे रोने से...
वक़्त जैसे गुजरता गया वैसे वैसे हम भी रास्ते बदलते गए...
अपने पैरो को जमी पर रखते गए, अंजानो से जब मिलते गए..
वो अंजान भी अपनों से ज्यादा जरूरी होते गए...
वक़्त के साथ फिर वो भी छूटते गए...
और हम वक़्त के...
वक़्त जैसे गुजरता गया वैसे वैसे हम भी रास्ते बदलते गए...
अपने पैरो को जमी पर रखते गए, अंजानो से जब मिलते गए..
वो अंजान भी अपनों से ज्यादा जरूरी होते गए...
वक़्त के साथ फिर वो भी छूटते गए...
और हम वक़्त के...