धरा पर स्वर्ग...
इस भाग-दौड़ की जिन्दगी में,
ठहराव सिर्फ अभी आया है।
जब पहली बार खुद को,
प्रकृति की गोद में पाया है।
नई कोंपलों को पल्लवित होते देखा,
गिलहरियों को उछलते - कूदते देखा।
चिरैया का चहचहाना,
किट पकड़ बच्चों को खिलाना।
अदृश्य कोयल की सिर्फ कूक सूने,...
ठहराव सिर्फ अभी आया है।
जब पहली बार खुद को,
प्रकृति की गोद में पाया है।
नई कोंपलों को पल्लवित होते देखा,
गिलहरियों को उछलते - कूदते देखा।
चिरैया का चहचहाना,
किट पकड़ बच्चों को खिलाना।
अदृश्य कोयल की सिर्फ कूक सूने,...