वो तुम हो ....
जो बसा मेरे हर सांस , रोम रोम है ,
बस मेरे हाथों के लकीरो में नही,
वो भाग्य तुम हो ....
काट दिए मैंने एक एक दिन करके ,
महीने , साल पर जो काटे नही काटता ,
वो रात तुम हो ....
होती है रोज हजारो लोगो से गुफ्तगू ,
पर जो दिल को शुकुन से भर दे ,
वो बात तुम हो ....
...
बस मेरे हाथों के लकीरो में नही,
वो भाग्य तुम हो ....
काट दिए मैंने एक एक दिन करके ,
महीने , साल पर जो काटे नही काटता ,
वो रात तुम हो ....
होती है रोज हजारो लोगो से गुफ्तगू ,
पर जो दिल को शुकुन से भर दे ,
वो बात तुम हो ....
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