...

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बिन मौसम बरसात
किसी रोज लगता है की मैं
तुम्हे भूल चुकी हूं

जो हुआ जैसे हुआ
उसके बाद तुम्हारे नाम का
कोई आंसू नहीं होगा
मेरी आंखों में

फिर अगले ही पल
बहती हैं
बेतहाशा आंखें
जैसे कोई बांध टूट गया हो

ये जो आंखों से गिरता है
आंसू तो नहीं हो सकता ना
ये पानी है
बरसात का पानी

हां ये असर है
बेमौसम बरसात का
तुम्हारे शहर में भी
इन दिनों कुछ ऐसा ही है मौसम
देखा था न्यूज में

© life🧬