4 views
“रात के अंधेरे में”
रात के अंधेरे में
जब तुम साथ नहीं होते
अजीब सा डर
समा जाता है मुझ में
शनै शनै चलती हवा
नश्तर सा चुभती है
मेरे रोम रोम में
एक अजीब सी उदासी
भर देती है मुझ में
विचलित सी मैं
भटकती रहती हूँ
यूँही किसी उलझन में
मेरी नज़रें
जैसे ढूँढती हूँ तुझको
घर के हर कोने में
ये जुल्म है ज़ालिम तेरा
ना पास रहता है
ना रहने देता है
मन में चैन का बसेरा
कचोट रही है तेरी याद
अब तो दिल के हर कोने में
आजा, अब बहुत हुआ ये खेल
दिल मचल रहा करने को मेल
तड़फ रही हूँ मैं कुछ ऐसे
बारिश की बाट जोह रहा हो
किसान कोई सावन में ।
#ramphalkataria
© Ramphal Kataria
जब तुम साथ नहीं होते
अजीब सा डर
समा जाता है मुझ में
शनै शनै चलती हवा
नश्तर सा चुभती है
मेरे रोम रोम में
एक अजीब सी उदासी
भर देती है मुझ में
विचलित सी मैं
भटकती रहती हूँ
यूँही किसी उलझन में
मेरी नज़रें
जैसे ढूँढती हूँ तुझको
घर के हर कोने में
ये जुल्म है ज़ालिम तेरा
ना पास रहता है
ना रहने देता है
मन में चैन का बसेरा
कचोट रही है तेरी याद
अब तो दिल के हर कोने में
आजा, अब बहुत हुआ ये खेल
दिल मचल रहा करने को मेल
तड़फ रही हूँ मैं कुछ ऐसे
बारिश की बाट जोह रहा हो
किसान कोई सावन में ।
#ramphalkataria
© Ramphal Kataria
Related Stories
3 Likes
0
Comments
3 Likes
0
Comments