...

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यादें

बचपना था मुझमें जब ~
लगा जिंदगी मखमली खेत है,
ख्बावों- ख्यालों की फसलों से लहलहाती
कुदरत की अनोखी देन है ॥

अब मौसम बदल गए शायद
तो चीजें बदल रही है ।

इसलिए, बढाया कदम जब-
जिंदगी की राहों में ।
वो चुभन कह रही थी,
जिंदगी कहां मखमली खेत है ,
यह कुछ भी नहीं
बस कांटो की सेज है
बस कांटो की सेज है
सिर्फ..... कांटो... भरी सेज है ॥

© ya waris