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काश...!
काश ऐसा हो जाए,
तेरे कदमों की आहट से उड़े जो भी मिट्टी
मेंरे चेहरे पर परत बन जम जाए,
तेरे जिस्म से छूकर निकले जो भी हवा,
आकर मेरे वो सीने को ठंड पाए,
तुम्हें सजदा सा करती सूरज की किरण पहली,
आकर मेरे वो सीने को सेंक जाए,
दुख तकलीफ जो भी तेरी तरफ बढ़े,
वह पहले "जोसन" के सीने पर गुजर जाए,
तुम्हें चुभे कांटा और दर्द हो मेरे,
तेरे बिना ना कभी मुझे सांस आए,
हम दिल की जमीन पर मोहब्बत की करें खेती,
इकट्ठे हों जब भी हमें मौत आए,
© Meharban Singh Josan
तेरे कदमों की आहट से उड़े जो भी मिट्टी
मेंरे चेहरे पर परत बन जम जाए,
तेरे जिस्म से छूकर निकले जो भी हवा,
आकर मेरे वो सीने को ठंड पाए,
तुम्हें सजदा सा करती सूरज की किरण पहली,
आकर मेरे वो सीने को सेंक जाए,
दुख तकलीफ जो भी तेरी तरफ बढ़े,
वह पहले "जोसन" के सीने पर गुजर जाए,
तुम्हें चुभे कांटा और दर्द हो मेरे,
तेरे बिना ना कभी मुझे सांस आए,
हम दिल की जमीन पर मोहब्बत की करें खेती,
इकट्ठे हों जब भी हमें मौत आए,
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