कवायद थी मुझको.....
कवायद थी मुझको कि तेरा बनूं मैं ,मगर तुझसे शिकायत ...आज भी नही है
अरसा हुआ... उन लम्हों को गुजरे,मगर तुझसे चाहत ...आज भी वही है
आज भी उलझता हूं मैं उसी तरह से तुझमें,जिस तरह से ये उंगलिया तेरे बालों में उलझती थी
आज भी महसूस करता हूं तेरे सर को इस कांधे पे,जिस तरहा से तू आके... मुझसे गले लगती थी
फिर गले लग...
अरसा हुआ... उन लम्हों को गुजरे,मगर तुझसे चाहत ...आज भी वही है
आज भी उलझता हूं मैं उसी तरह से तुझमें,जिस तरह से ये उंगलिया तेरे बालों में उलझती थी
आज भी महसूस करता हूं तेरे सर को इस कांधे पे,जिस तरहा से तू आके... मुझसे गले लगती थी
फिर गले लग...