...

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मैं पेड़ से गिरा हुआ पत्ता हूॅं
#पत्तोंकीसरसराहट
© Nand Gopal Agnihotri
मैं पेड़ से गिरा हुआ पत्ता हूॅं,
शाखों ने त्याग दिया है मुझे,
ताकि न‌ई कोंपलें आ सकें,
और उनका विकास हो।
मैं क्यों बाधक बनता,
जबतक शाखों से लगा रहा,
गर्त से श्रृंग तक के,
उदर पूर्ति का काम किया,
लेकिन मुझे मलाल नहीं,
त्यागे जाने का।
मैं पेड़ से गिरा हुआ पत्ता हूॅं,
किसी के लिए कूड़ा
तो किसी के लिए हीरा हूॅं...